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''VikalpaHin Nahin Hai Duniya'' (Hindi: विकल्पहीन नहीं है दुनिया) is a 2000 book by Kishen Pattanayak that deals with the alternatives to capitalistic developments. It is a collection of 44 articles on crises of society, politics, Gandhism, nuke issues, journalism, intellectual, education system, modern science, starvation death of Kalahandi and politics. The articles are arranged in 5 segments in the book. ==Section 1 - सभ्यता का संकट (Crisis of Civilisation)== # नए विचारों और नए शास्त्रों की प्रतीक्ष्या # गुलाम दिमाग का छेद # संस्कृति और अपसंस्कृति # आधुनिक विज्ञान और तकनीक का दंभ # इन्टरनेट और बैल्गाड़ी के विरुद्ध एक घोषणापत्र # 'मैं प्रलायवादी हूँ' - आधुनिकतावादियों से नम्र निवेदन # कालाहांडी की क्षुधा # रूवान्डा हमारा भविष्य ? # नाइजीरिया का अदृश्य खलनायक # मणिबेली : आधुनिक विकास की एक किम्बदन्ति # मानव अधिकारों का भ्रम 抄文引用元・出典: フリー百科事典『 ウィキペディア(Wikipedia)』 ■ウィキペディアで「Vikalpahin nahin hai duniya」の詳細全文を読む スポンサード リンク
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